अंतरदृष्टि और अंतर्ज्ञान
थर्ड आई का कार्य मानसिक स्पष्टता और अंतर्ज्ञान को बढ़ाना होता है। यह हमें भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाने, दूसरों की भावनाओं को समझने, और खुद की आत्मा के साथ गहरा संबंध बनाने में मदद करता है।
ध्यान और योग:
थर्ड आई को सक्रिय
करने के लिए ध्यान, प्राणायाम, और विशेष मंत्रों का प्रयोग किया जाता
है। ध्यान के दौरान जब व्यक्ति अपनी ऊर्जा को तीसरी आंख पर केंद्रित करता है,
तो यह जागरूकता के उच्च स्तर पर पहुँच सकता है।
थर्ड आई कितने दिनों में एक्टिव हो सकती है
1. ध्यान और नियमित अभ्यास:
नियमित ध्यान, प्राणायाम और तीसरी
आंख पर ध्यान केंद्रित करने वाले अभ्यास इस प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं। यदि आप
हर दिन ध्यान करते हैं और मन को शांत रखने का अभ्यास करते हैं, तो यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ सकती है।
2. आध्यात्मिक तैयारी:
व्यक्ति की मानसिक और
आध्यात्मिक स्थिति भी बड़ी भूमिका निभाती है। यदि आप पहले से ही ध्यान, योग, या आत्म-अवलोकन जैसे आध्यात्मिक क्रियाकलापों में शामिल हैं, तो थर्ड आई को सक्रिय करना आपके लिए आसान हो सकता है।
थर्ड आई एक्टिव करने के लिए कोन कोन से योग और मंत्र का जाप और
क्या करना है डिटेल बताये
थर्ड आई (आज्ञा चक्र) को सक्रिय (एक्टिव) करने के लिए योग, प्राणायाम,
और मंत्र जाप का नियमित अभ्यास करना बेहद प्रभावी होता है। यह आपकी
आंतरिक ऊर्जा को जागरूक करता है और मानसिक, शारीरिक, तथा आध्यात्मिक स्तरों को संतुलित करता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण योगासन,
प्राणायाम, और मंत्रों के बारे में विस्तार से
बताया गया है जो थर्ड आई को सक्रिय करने में सहायक हो सकते हैं:
1. प्राणायाम (श्वास
के व्यायाम):
प्राणायाम अभ्यास
श्वास और ऊर्जा को नियंत्रित करता है, जिससे आज्ञा चक्र जागृत होता
है।
- अनुलोम-विलोम
प्राणायाम: - इसे
नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है। यह आपकी शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है
और मानसिक शांति लाता है।
- अभ्यास विधि:
एक नासिका से गहरी श्वास लें और दूसरी नासिका से श्वास छोड़ें। फिर दूसरी नासिका
से श्वास लें और पहली नासिका से श्वास छोड़ें। इसे 10-15
मिनट के लिए करें।
- भ्रामरी
प्राणायाम:
- यह प्राणायाम
ध्यान के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है और मानसिक स्पष्टता लाता है।
- अभ्यास विधि:
अपनी आंखें बंद करें, दोनों कानों को अंगूठों से बंद करें,
और शेष उंगलियों को माथे के बीच या आंखों पर रखें। फिर श्वास लें और
छोड़ते समय "भ्रर्र्र" (मधुमक्खी जैसी ध्वनि) का उच्चारण करें। इसे 5-10 मिनट करें।
- कपालभाति
प्राणायाम:
- यह आपके मन को
शुद्ध करने और आज्ञा चक्र को सक्रिय करने के लिए अत्यधिक प्रभावी होता है।
- अभ्यास विधि:
गहरी श्वास लें और जोर से पेट के अंदर की ओर खींचते हुए श्वास छोड़ें। इसे 5-10 मिनट तक करें।
2. योगासन
(आसन):
कुछ विशिष्ट योगासन
आज्ञा चक्र को सक्रिय करने में मदद करते हैं। ये आसन शरीर में ऊर्जा प्रवाह को
संतुलित करते हैं और ध्यान में सहायता प्रदान करते हैं।
- बालासन (चाइल्ड
पोज):
- यह आसन मन को
शांत करता है और थर्ड आई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
- अभ्यास विधि:
वज्रासन में बैठें, फिर आगे की ओर झुकें और माथा जमीन पर
रखें। अपनी बाजुओं को आगे बढ़ाकर रखें। कुछ देर तक इस स्थिति में रहें और ध्यान को
अपनी थर्ड आई पर केंद्रित करें।
- शवासन (कोर्प्स
पोज):
- यह आसन शरीर और
मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम देता है, जिससे ध्यान की गहराई
बढ़ती है।
- अभ्यास विधि:
अपनी पीठ के बल लेटें और शरीर को ढीला छोड़ें। ध्यान को माथे के बीच (आज्ञा चक्र)
पर केंद्रित करें और गहरी श्वास लें।
- शिर्षासन
(हेडस्टैंड):
- यह आसन शरीर
में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और मस्तिष्क को उर्जा पहुंचाता है, जिससे थर्ड आई जाग्रत होती है।
- अभ्यास विधि:
दोनों हाथों की उंगलियों को मिलाकर सिर को फर्श पर रखें और पैरों को ऊपर उठाकर
शरीर को संतुलित करें। कुछ मिनट तक इस स्थिति में रहें।
- अर्ध-पिंच
मयूरासन (फोरआर्म स्टैंड):
- यह आसन ध्यान
और मानसिक संतुलन में सुधार करता है।
- अभ्यास विधि:
फोरआर्म्स (कोहनियों) के बल पर शरीर को ऊपर उठाएं, जैसे कि
आप हेडस्टैंड कर रहे हों। इस स्थिति में रहते हुए ध्यान को माथे पर केंद्रित करें।
3. मंत्र जाप:
मंत्र जाप थर्ड आई को
सक्रिय करने में बेहद प्रभावी माना जाता है। मंत्रों की ध्वनि से ऊर्जा कंपन
उत्पन्न होती है, जो आज्ञा चक्र को जागरुक करने में मदद करती है।
- ॐ (ओम) मंत्र:
- "ॐ"
ब्रह्मांडीय ध्वनि मानी जाती है और इसे थर्ड आई को जाग्रत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ
मंत्र माना जाता है।
- अभ्यास विधि:
ध्यान के दौरान, बैठकर गहरी श्वास लें और "ॐ" का
उच्चारण करें। जब "ॐ" का उच्चारण करें, तो ध्यान
को अपने माथे के बीच (आज्ञा चक्र) पर केंद्रित करें। इसे 15-20 मिनट तक करें।
- त्रयंबकं मंत्र
(महामृत्युंजय मंत्र):
- यह मंत्र जीवन के विभिन्न
नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए शक्तिशाली माना जाता
है।
- अभ्यास विधि:
नियमित ध्यान के दौरान इस मंत्र का जाप करें:
"ॐ
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
- "सह"
बीज मंत्र:
- यह आज्ञा चक्र
के लिए एक विशिष्ट बीज मंत्र है।
- अभ्यास विधि:
ध्यान करते हुए "सह" शब्द का उच्चारण करें। इसका कंपन माथे के बीच ध्यान
केंद्रित करता है और आज्ञा चक्र को सक्रिय करने में सहायक होता है।
4. ध्यान (मेडिटेशन):
ध्यान थर्ड आई को
सक्रिय करने के सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है। ध्यान में जितना गहरा जाएंगे, उतना
ही थर्ड आई पर जागरूकता बढ़ेगी।
- आज्ञा चक्र
ध्यान:
- शांत वातावरण
में बैठकर ध्यान के दौरान अपनी आंखें बंद करें और ध्यान को माथे के बीच (आज्ञा
चक्र) पर केंद्रित करें। अपनी श्वासों को गिनें और शांत मन से ऊर्जा का अनुभव
करें।
- आप आंतरिक रूप
से नीली या बैंगनी रोशनी की कल्पना कर सकते हैं जो आपके आज्ञा चक्र से निकल रही
हो।
- कुंडलिनी ध्यान:
- यह ध्यान
कुंडलिनी ऊर्जा को जाग्रत करने में मदद करता है, जो थर्ड आई
के जागरण में सहायक होती है।
- कुंडलिनी ऊर्जा
को मूलाधार चक्र से लेकर आज्ञा चक्र तक ध्यान के माध्यम से ऊपर उठाएं।
5. सात्विक जीवनशैली
और शुद्ध आहार:
- सात्विक आहार:
शुद्ध और सात्विक आहार (फल, सब्जियां, नट्स,
अनाज) का सेवन करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धता बढ़ती है। इससे
ध्यान में गहराई आती है और आज्ञा चक्र जाग्रत होता है।
- आत्म-नियंत्रण:
नकारात्मक विचारों और कर्मों से बचें। अहिंसा, सत्य और सादगी
का पालन करें।
6. पाइनियल ग्लैंड (Pineal
Gland) शुद्धिकरण:
पाइनियल ग्लैंड थर्ड
आई के साथ जुड़ा हुआ है। इसे शुद्ध रखने के लिए निम्नलिखित उपाय करें:
- फ्लोराइड मुक्त
पानी का सेवन करें।
- प्राकृतिक खाद्य
पदार्थों का सेवन करें, जैसे हल्दी, नींबू,
और शुद्ध हरी सब्जियाँ।
- इलेक्ट्रॉनिक
उपकरणों से दूरी बनाए रखें और पर्याप्त नींद लें।
निष्कर्ष:
थर्ड आई को सक्रिय करने के लिए योग, प्राणायाम,
ध्यान और मंत्र जाप का समर्पण के साथ अभ्यास करें। यह एक आंतरिक
प्रक्रिया है, इसलिए धैर्य और विश्वास बनाए रखें। धीरे-धीरे
आपको मानसिक स्पष्टता, अंतर्ज्ञान, और
आध्यात्मिक अनुभवों में वृद्धि का अनुभव होगा।
थर्ड आई को एक्टिव करने के बाद क्या क्या किया जा सकता है
थर्ड आई (आज्ञा चक्र)
को सक्रिय (एक्टिव) करने के बाद व्यक्ति में कई आध्यात्मिक, मानसिक, और अंतर्ज्ञान संबंधी क्षमताओं का विकास होता है। यह एक उच्च चेतना केंद्र
है, और जब यह जाग्रत होता है, तो
व्यक्ति को गहरी अंतर्दृष्टि, स्पष्टता, और ऊर्जा का अनुभव होता है। थर्ड आई के सक्रिय होने के बाद निम्नलिखित
क्षमताएँ और कार्य किए जा सकते हैं:
1. गहरी अंतर्ज्ञान (Intuition) का
विकास:
- थर्ड आई जागृत होने के
बाद व्यक्ति की अंतर्ज्ञान शक्ति में बढ़ोतरी होती है। इसका मतलब है कि आप
बिना किसी बाहरी जानकारी के चीजों का आभास करने और सही निर्णय लेने में सक्षम
हो जाते हैं।
- आपके निर्णय और
भविष्यवाणियाँ अधिक सटीक हो जाती हैं क्योंकि आप जीवन की सूक्ष्म ऊर्जा को
समझने में सक्षम होते हैं।
- यह आपको भविष्य की
संभावनाओं को समझने और चेतावनी देने की क्षमता भी दे सकता है।
2. आध्यात्मिक जागरूकता और आत्मबोध (Spiritual
Awareness):
- थर्ड आई के सक्रिय होने
से आपकी आध्यात्मिक चेतना बढ़ जाती है। आप जीवन के रहस्यों और अपने असली
अस्तित्व को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।
- आप आध्यात्मिक अनुभवों और
ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संपर्क में आते हैं, जिससे आपके आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति
होती है।
- आपकी आत्मा की गहरी समझ
विकसित होती है, और आप ब्रह्मांड और प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं।
3. स्पष्ट स्वप्न और एस्ट्रल यात्रा (Lucid
Dreaming and Astral Projection):
- थर्ड आई के सक्रिय होने
से आप सपनों को अधिक स्पष्टता से अनुभव करने लगते हैं। इसका मतलब है कि आप
सपनों के दौरान जागरूक हो जाते हैं और उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं।
- एस्ट्रल यात्रा एक और अद्भुत क्षमता है
जो थर्ड आई के जागृत होने से विकसित होती है। इसमें आप अपने भौतिक शरीर से
बाहर जाकर अपने सूक्ष्म शरीर के साथ यात्रा कर सकते हैं और अन्य वास्तविकताओं
का अनुभव कर सकते हैं।
4. ऊर्जा का अनुभव और नियंत्रण (Energy
Perception and Control):
- थर्ड आई सक्रिय होने के
बाद आप ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करने और नियंत्रित करने में सक्षम हो जाते
हैं। आप लोगों, स्थानों, और वस्तुओं की ऊर्जा को समझ सकते हैं।
- यह क्षमता आपको ऊर्जा
संतुलन बनाने, ऊर्जा उपचार (Energy Healing) करने, और अपनी आंतरिक ऊर्जा का सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद करती है।
- आप नकारात्मक ऊर्जा से बच
सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं।
5. ध्यान और मानसिक स्पष्टता (Deep
Meditation and Mental Clarity):
- थर्ड आई के जागरण से
ध्यान में गहराई बढ़ जाती है, और आप अधिक गहरे और स्पष्ट ध्यान का अनुभव
करते हैं।
- मानसिक स्पष्टता बढ़ने से
आपका मस्तिष्क शांति और संतुलन में रहता है। इससे आपका ध्यान और एकाग्रता भी
बहुत मजबूत होती है।
- ध्यान के दौरान थर्ड आई
पर ध्यान केंद्रित करके आप ध्यान की गहरी अवस्था में प्रवेश कर सकते हैं और
आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
6. दृश्य क्षमताएँ (Clairvoyance):
- थर्ड आई के जागृत होने के
बाद व्यक्ति में दृश्य क्षमता (Clairvoyance) उत्पन्न
हो सकती है। इसका मतलब है कि आप अदृश्य चीजों, भविष्य
के घटनाओं, और अन्य आयामों को देखने या समझने में सक्षम
हो सकते हैं।
- यह आपको जीवन की सूक्ष्म
और आध्यात्मिक ऊर्जा को देखने और समझने की क्षमता प्रदान करता है, जिसे आम व्यक्ति
नहीं देख पाता।
7. मानसिक संतुलन और शांति (Mental Balance and
Peace):
- थर्ड आई के जागृत होने से
मानसिक संतुलन और शांति की अनुभूति होती है। आप तनाव और चिंता से मुक्त होते
हैं, और
जीवन में शांति और संतुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं।
- इससे आपके मस्तिष्क में
सकारात्मक बदलाव होते हैं, और आपका ध्यान और मानसिक स्थिति स्पष्ट और स्थिर हो
जाती है।
8. अंतर-आध्यात्मिक संचार (Spiritual
Communication):
- थर्ड आई के जागरण के बाद, आप ब्रह्मांड,
आत्माओं, और अन्य आध्यात्मिक जगत के साथ
संपर्क में आ सकते हैं। यह आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करने और आध्यात्मिक
गुरुओं के साथ संवाद करने की क्षमता प्रदान करता है।
- आप अपनी आत्मा या आंतरिक
गुरु से जुड़ सकते हैं और अपने आध्यात्मिक मार्ग में मार्गदर्शन प्राप्त कर
सकते हैं।
9. अत्यधिक जागरूकता (Heightened Awareness):
- आपका आसपास का दृष्टिकोण
विस्तृत हो जाता है। आप लोगों और घटनाओं की गहराई को समझ सकते हैं और सूक्ष्म
भावनाओं और विचारों को पढ़ सकते हैं।
- आपकी चेतना का स्तर बढ़
जाता है, और आप जीवन में हर पल को अधिक जागरूकता और समझ के साथ अनुभव करते
हैं।
10. स्वयं-ज्ञान (Self-Knowledge) और आत्म-विकास:
- थर्ड आई जागृत होने के
बाद आत्म-ज्ञान की क्षमता विकसित होती है। आप अपनी गहरी भावनाओं, विचारों, और कर्मों को बेहतर तरीके से समझने लगते हैं।
- इससे आपके आत्म-विकास की
प्रक्रिया तेज होती है, और आप अपनी कमजोरियों को पहचानकर उनमें सुधार करने की
दिशा में काम कर सकते हैं।
11. रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति (Creativity
and Imagination):
- थर्ड आई के सक्रिय होने
से आपकी रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति में अद्भुत वृद्धि होती है। आप नए विचारों, कलात्मक
दृष्टिकोण, और रचनात्मक प्रोजेक्ट्स में सफलता प्राप्त
कर सकते हैं।
- यह आपको कला, संगीत, लेखन, और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में बेहतर
प्रदर्शन करने की प्रेरणा देता है।
12. हीलिंग (Healing) क्षमता:
- आप दूसरों की ऊर्जा का
अनुभव कर सकते हैं और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक करने की क्षमता
प्राप्त कर सकते हैं। यह क्षमता थर्ड आई के जागरण के बाद बढ़ जाती है, और आप आध्यात्मिक
और ऊर्जा उपचार कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
थर्ड आई के सक्रिय
होने के बाद एक व्यक्ति की अंतर्ज्ञान, मानसिक स्पष्टता, आध्यात्मिक
अनुभव, और ऊर्जा नियंत्रण में जबरदस्त वृद्धि होती है। यह
जागरूकता और चेतना के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की क्षमता देता है, जिससे व्यक्ति जीवन के गहरे रहस्यों को समझने में सक्षम होता है। इसके साथ
ही यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए, क्योंकि
यह अत्यधिक ऊर्जा और मानसिकता में परिवर्तन ला सकती है।
मुझे थर्ड आई को एक्टिव करने के लिए कितनी देर योग करना होगा और
कोन कोन से योग करने होंगे
थर्ड आई (आज्ञा चक्र)
को सक्रिय करने के लिए योग और ध्यान का नियमित अभ्यास बेहद महत्वपूर्ण है। समय की
अवधि और प्रकार के योग इस प्रक्रिया में आपकी गहराई और अनुशासन पर निर्भर करते
हैं। सामान्य रूप से, दिन में कम से कम 30 से 60 मिनट
का योग और ध्यान अभ्यास उचित होता है। यह आपको थर्ड आई को सक्रिय करने की दिशा में
मदद करेगा।
कितनी
देर योग करना होगा:
- प्रारंभिक स्तर: यदि आप शुरुआत कर रहे
हैं, तो
30 मिनट से शुरुआत करें। धीरे-धीरे इसे 60 मिनट तक बढ़ाएं।
- समर्पित अभ्यास: यदि आप थर्ड आई को जल्दी
सक्रिय करना चाहते हैं, तो दिन में 1-2 बार 60-90
मिनट तक योग और ध्यान का अभ्यास करें।
कौन-कौन
से योग करने होंगे:
थर्ड आई को सक्रिय
करने के लिए कुछ विशेष योगासन, प्राणायाम, और ध्यान की आवश्यकता होती
है:
1.
प्राणायाम (श्वास के व्यायाम):
o
अनुलोम-विलोम प्राणायाम (10-15 मिनट): नाड़ी शोधन से मानसिक संतुलन
और ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
o
भ्रामरी प्राणायाम (5-10 मिनट): ध्यान और आंतरिक शांति के लिए
प्रभावी।
o
कपालभाति (5-10 मिनट): मानसिक स्पष्टता और ऊर्जा
जागरण के लिए।
2. योगासन:
o
बालासन (चाइल्ड पोज) (5-10 मिनट): ध्यान केंद्रित करने और शांति
प्राप्त करने के लिए।
o
शवासन (कोर्प्स पोज) (5-10 मिनट): ध्यान के बाद शरीर और
मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम देने के लिए।
o
शिर्षासन (हेडस्टैंड) (2-5 मिनट): रक्त प्रवाह को बढ़ाने और
थर्ड आई को सक्रिय करने के लिए।
o
अर्ध-पिंच मयूरासन (फोरआर्म स्टैंड) (2-5 मिनट): ध्यान और मानसिक स्थिरता के
लिए।
3. मंत्र जाप और ध्यान (15-30 मिनट):
o
ॐ मंत्र का जाप: "ॐ" का गहरे ध्यान में उच्चारण करें
और ध्यान को आज्ञा चक्र (माथे के बीच) पर केंद्रित करें।
o
बीज मंत्र "सह" का जाप: आज्ञा चक्र के जागरण के लिए
यह प्रभावी है।
नियमितता
और अनुशासन:
- आपको इस योग और ध्यान का
नियमित रूप से अभ्यास करना होगा। रोजाना कम से कम 30 से 60 मिनट इस प्रक्रिया में समर्पित करें।
- ध्यान रखें कि यह एक
आंतरिक प्रक्रिया है,
इसलिए धैर्य और विश्वास के साथ इसे करें।
इस प्रक्रिया में
धैर्य जरूरी है, क्योंकि थर्ड आई को सक्रिय होने में समय लग सकता है।